फ़रियाद

आदम कोई देख ना ले, जब पड़ता हो रुख्सार-ए-ख़म
जब शाम की बदली छायी हो जब बैठे हों संग में हम

जब कोई साथ ना हो तेरे तो रख दूँ मैं दिल की सौगात
जब सावन जोर बरसता हो तो कह दूं मैं अपनी फ़रियाद

या इक पाज़ेब खरीद दूँ मैं, तुझ गोरी का मन बहलाने को
या मांग लूँ कंघा अम्मा से, काकुल की शिकन सुलझाने को

या उमर काटने तेरे संग, मैं दुआ मांगना सीख लूँ अब
या तेरे तस्कीन की साजिश में, कब्र खोद लूं अपनी अब

या नगरी नगरी फिरा करूँ या फिरा करूं शाम-ओ-सहर
या जी के जख्म छुपाने को, मैं छत ढूढं लूं इधर उधर

या गुल तुझको मैं पेश करूं या पेश करूँ गुल के ज़ज्बात
या आखिर तुझसे मैं कह दूँ सबसे छुपी वो दिल की बात

वो बातें तुझसे वाबस्ता हैं, वो दीदा-ओ-दिल की बातें हैं
वो बातें थोड़ी भोली हैं, वो मेरे नाजुक इश्क़ की बातें हैं


तारीख: 15.06.2017                                                        आयुष राय






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