गुज़रता वक़्त , गुज़रते तुम

वक़्त तो गुज़र ही जायेगा , यूँ  ही ,बिना कुछ किये भी  
प्रश्न वक़्त के गुजरने का नहीं , तुम्हारे गुज़र जाने का है ,
कहीं तुम तो बिना कुछ खास किये नहीं गुज़रते जा रहे हो ?

तुम में क्या खास है ? तुमने क्या ख़ास किया है ?
तुम कैसे अन्य  व्यक्तियों  से अलग हो ?
तुम क्या ऐसा करते जा रहे हो जिससे मानवता का हित होता हो ?  
या बहुत सारे बेवकूफों की तरह सिर्फ खा-पीकर-निरर्थक घूमकर वक़्त बर्बाद कर रहे हो ?
क्या तुमने अपना बहुमूल्य अहस्तांतरणीय जीवन किसी अर्थपूर्ण कार्य में लगाया है ?

इसलिए चलो उठो,
क्या करना है शेष जीवन में यह सोचो ,
एक बार ठोक-बजाकर सोचकर निर्णय लो,
उद्देश्य , टारगेट , गोल फिक्स करो,
फिर प्लानिंग करो , योजना बनाओ |

फिर उस योजना को पालन करने में लग जाओ , जुट जाओ,
लक्ष्य यूँ ही सिर्फ सोचने और योजना बनाने से ही नहीं मिल पायेगा,
उसे पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, पसीना  बहाना पड़ेगा |

तय समय पर अपने लक्ष्यों को हासिल करो , तगड़े काम करो |
सफल होकर ही दम लो |

वक़्त तो गुज़र ही जायेगा ,
और तुम भी !!!


तारीख: 22.03.2025                                    शीलव्रत पटेरिया




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