अभी इतना भी कमज़ोर नहीं हुआ

अभी इतना भी कमज़ोर नहीं हुआ
के वार समय के सह ना सकूँ
सच तुम्हारे मुँह पे कह ना सकूँ
जो कोई खड़ा ना हो साथ मेरे 
मैं भी अपने साथ रह ना सकूँ


अभी इतना कमज़ोर नहीं हुआ
चार लोगों की चालीस बातें
सुनकर मैं हताश हो जाऊँ
ख़ुदको तोलूँ उनके तराज़ू में
रोऊँ-पीटूँ सबको सच समझाऊँ


अभी इतना कमज़ोर नहीं हुआ
शून्य से मैं अभी ख़्वाब बुन न सकूँ
काँटे दूजों के चुन न सकूँ
आइनों से दोस्ती तोड़ूँ
सच अपना भी सुन ना सकूँ
ना...अभी इतना कमज़ोर भी नहीं हुआ


तारीख: 03.11.2017                                    राहुल तिवारी









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