हसरत

दिल में दबी है एक तुझे पाने की हसरत,
एक तेरे सिवा कोई और नहीं है चाहत।
जी लूं संग तेरे यह जीवन बस यही हसरत,
जान से भी ज्यादा चाहूं तुझे और करूं तेरी इबादत।
एक सपनों का हो घर आंगन,
खुशियों से महके हमारा दामन।
आखिर सांस तक साथ रहूं तेरे ,
हृदय की रिक्तियों को भरना मेरे,
जीवन के उतार चढ़ाव में रहूं संग 
कुछ भी हो जाए पर ना आऊं तंग,
बस इतनी सी हसरत,रब से पहले नाम तेरा लूं,
कुछ भी हो मगर आपसी प्यार मोहब्बत सब झेलूं।
एक तुझे पाने की हसरत
अब बन गई है मेरी चाहत।


तारीख: 23.02.2024                                    रेखा पारंगी




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