कलियुग में भानु

 

वह दिनकर, तम का विनाशक
आज छिप गया है या छिपा लिया गया है
एक अम्बर के टुकड़े के पीछे, उसके आँचल में।


ऐसा नहीं था कि उस भानु को,
जो धरती पर प्राणवाहक है
तन-मन का ऊर्जा स्रोत है
बादल ने क्रोधवश या अहंकारवश
खुद में, खुद के पीछे छिपा लिया था


वस्तुतः स्वयं सूर्य ने ही विनती की थी अंबर से
उसे छिपाने की क्योंकि
अब सूर्य के पास भी नहीं बची थी इतनी ऊर्जा
कि वो कलियुग के पाप को जला सके
और इसकी तपिश को सह सके


अतः प्रार्थना की रवि ने अम्बर से उसे छिपाने की
पर हाय! नहीं क्षणिक सुख ही मिला था सूरज को
कि अधर्म-असत्य की एक और बयार ने
बादल को सूर्य के सामने से हटा दिया
फिर से छीन लिया आँचल, अम्बर का, सूर्य से।
 


तारीख: 18.08.2017                                                        अमर परमार






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