जो गिरकर फिर से अपने पैरों पर खड़े होते हैं
मेरी नज़र में वो लोग बड़े होते हैं
अक्सर वो लोग ही नया इतिहास गढ़ते हैं
जिनके ख़्याल बुलंद और ख़्वाब बड़े होते हैं
खुदा को पाना है तो इबादत में डूबना होगा
मोती समंदर की गहराई में ही पड़े होते हैं
अब कोई तुझसे मिले भी तो कैसे मिले
तेरे घर पर हर घड़ी नज़रों के पहरे कड़े होते हैं
सब्र कर तेरी मेहनत रंग जरूर लाएगी
वो फल मीठे होते हैं जो पककर झड़े होते हैं
तू समझता है ये मिट्टी सिर्फ धूल है तो ये तेरी भूल है
खजाने भी इसी मिट्टी में गड़े होते हैं
लोग मजहब के नाम पर लड़ना नहीं चाहते
सियासत की शह पर ही ये मजहबी झगड़े होते हैं