दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई थी लेकिन,
हम समझे कि राह भूल पथिक गंतव्य बिसरा गया ।
जादू भरी आँखे छू गयी मन के तार,
दिल को आहट न हुई कब राही हमराही बन गया ।
साथ में उनके हर पल, बन गये खूबसूरत लम्हे,
तन्हाईयों का मौसम सुहाना कर गया ।
आईना अब वही अक्स हमको दिखाता नहीं,
चेहरे पे उनकी प्रीत का रंग जो चढ़ गया ।
अनकहे न रह जायें कहीं मन के उदगार,
रिश्ता दिल से दिल का तो जुड़ ही गया ।