ख्याल तुम्हारे

बहुत से ख्याल तुम्हारे, मेरे सिरहाने रखकर सोती हूं 
दूर होकर भी तुमसे, तुम्हारे  ही करीब होती हूं

पाती हूं खुदको, अक्सर तुम्हारे ही खयालों में 
तुम्हारे घुंगराले बालों में , तुम्हारी आंखों के प्यालों में

कभी हवा बन टहलती हूं, तुम्हारे लबों के करीब ही 
कभी तुममें महकती हूं, तुम्हारी सांसों के बीच ही 

खो गयी हूं तुममें, मेरे ख्यालों के बीच ही 
ढूंढ रही हूं ख़ुद को, तुम्हारे अल्फ़ाज़ों के बीच ही

सुलझती हूँ उलझती हूं, तुम्हारी मुस्कुराहटों  के बीच ही 
भटक रही हूं तुममें, तुम्हारे एहसासों  के बीच ही

कभी तुम्हारे गालों, कभी लबों के करीब ही 
ढूंढ रही हूं खुद को, तुम्हारी  बातों के बीच ही 

तुम्हें पाती हूं मैं अक्सर, मेरे क़रीब ही
सिमट जाती हूं तुममें, तुम्हारी आंखों के बीच ही।


तारीख: 20.02.2024                                    अनमोल राय




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है