मुट्ठी भर प्रेम

प्रेम में बौराई औरतें, 
मुट्ठी भर प्रेम के लिए, 
आसमान भर  उठाती हैं दुख। 

उस मुट्ठी भर प्रेम के लिए, 
सहती हैं, 
दुख और ज़लालत,
और,
 देती है उसे प्रेम का नाम। 

सूजी हुई आँखों से, 
बोलती है,
मुट्ठी भर प्रेम की कहानियाँ। 

कुछ ऐसी होती है,
मुट्ठी भर प्रेम की चाहत में, 
औरतें। 


तारीख: 08.03.2024                                    अदिति शंकर









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