कोई हँसाता है तो कोई रुलाता है
कोई गुदगुदाता है तो कोई गुस्सा दिलाता है
कोई काम बनाता है तो कोई बिगाड़ता है
कोई ताउम्र याद रहता है तो कोई याद भी नही आता है
ये नाम है साहब ये बहुत कुछ बताता है
मिलता है सबको यही पर कोई ले कर नही आता है
जागीर खुद की पर खुद कम ही यूज़ में लाता है
कही जेंडर कॉन्फेरमेशन तो कही कंफ्यूज़न को बढ़ाता है
और तो और जनाब घर में उम्र का भी अनुभव कराता है
जो जितना छोटा उसका उतना ज़्यादा पुकारा जाता है
पर कम होती पुकार बढ़ती उम्र को भी जताता है
और धीरे धीरे ज़ुबा से ज़्यादा कागज़ों पर नज़र आता है
तब ये आपके बोझिल कंधो और ज़िम्मेदारी को दर्शाता है
ये नाम है साहब ये बहुत कुछ बताता है