नदियों के तट प्यारे

स्वर्णिम रेत किनारा
शीतल पवनों की लपटें
लहरों की अफरा-तफरी
सुधा धूप सी प्यारी बूंदे
टिमटिम करते चांद-सितारे
नदियों के तट प्यारे ।
जीवन की ये मन्द गति
आशाओं के सिंहनाद
बिखरे सपनों के करूण-नाद
स्मृतियों की जीवन गाथा
नदियों के तट प्यारे ।
लहरों के ये मंद-गान
शैशव का है अभिनंदन 
हरित किनारा नभ -लाली
गुजर जाये रजनी-काली
कुसुम -लता सा मानव जीवन
जीता अतीत की यादों में
गगन धरा कब मेल करे
बिना किसी भेदभाव 
जीवन लीला नदी के जल -सा
कतरा-कतरा बिखर रहा
नदियों के तट प्यारे।


तारीख: 11.04.2024                                    धर्मजीत









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है