तुम और मैं
अब भूल चलें है
जीवन जीना
चाहना और मुस्कुराना
शेष है
अब सिर्फ दौड़ना
तैरना
और दूसरों से आगे बहना
तुम और मैं
अब भूल चलें है
पीड़ा और टीस युक्त हृदय को
उसकी पवित्रता को
मधुर-मधु मय प्रेम को
उसकी सम्पन्नता को
गहन विश्वासों और प्रेरणों को
शेष है
अब सिर्फ दौड़ना
तैरना
और दूसरों से आगे बहना
क्योंकि भूल चलें है
जीवन जीना
चाहना और मुस्कुराना
संग बहती है अब केवल पीड़ा
साथ देती है ईष्या
विरक्त होती है फिर मानवता
पैदा होती है हिंसा
साथ देती फिर बुद्धि
शेष है
अब केवल विनाश !
विनाश !!
और विनाश !!!
क्योंकि तुम और मैं
अब भूल चलें है
जीवन जीना
चाहना और मुस्कुराना