पत्नी सेवा करे तो फर्ज़ और पति करे तो जोरू का गुलाम

"वाह रजत!! शादी होते ही तुम तो जोरू का गुलाम बन गए..., जब देखो अपनी पत्नी की सेवा करने में लगे होते हो. यहाँ तक हर छोटी-बड़ी बात प्रिया से पूछ कर करते हो और गुलाम की तरह उसे मनाने के लिए उसके आगे-पीछे घूमते रहते हो." रमा दीदी ने अपनी भाभी प्रिया की तरफ़ तिरछी नज़रें करते हुए व्यंग्य किया तो प्रिया की आँखें सजल हो उठी.

"कैसी बातें कर रही हो रमा दीदी... प्रिया की तबियत ख़राब है इसलिए घर के कामों में उसकी मदद कर रहा हूँ. वैसे भी प्रिया कामकाजी हो कर घर का काम करती है तो मैं क्यों नहीं. ये घर और गृहस्थी हम दोनों की है इसलिए एक-दूसरे की सलाह लेना, मदद करना या रूठना-मनाना गुलामी करना नहीं है और ये कैसा रिवाज़?? पत्नी सेवा करे तो फर्ज़ और पति करे तो जोरू का गुलाम...  नहीं दीदी!! ऐसी मानसिकता का गुलाम कहलाने से बेहतर मैं तो "जोरू का गुलाम" कहलाना पसंद करुँगा..." और रजत प्रिया को अपने हाथ से खिचड़ी खिलाने लगा तो प्रिया की आँखें खुशी से मुस्कुराने लगी.


तारीख: 04.02.2024                                    मंजरी शर्मा









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