पवित्र माटी-घनाक्षरी

पावन पवित्र पुण्यदायी जो है स्वर्गसम 
उसकी पवित्र माटी शीश धरता हूं मैं
गंगा जमुना का जल जहाँ बहे कल कल
उस भू पे जन्म लेके दम्भ भरता हूँ मैं
प्रेम के स्रोत जहां पग पग फूटते हैं
हृदय मैं उनका प्रेम जल भरता हूँ मैं
गिरिराज जिसके हैं ताज बने इठलाते
उस देवभूमि को नमन करता हूँ मैं।
 


तारीख: 27.02.2024                                    मोहित नेगी मुंतज़िर









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