राष्ट्र पहरी

लड़ते-लड़ते गिर पड़ा वह, भारत माँ की गोद में 
दुश्मनों की सांसे रोक दी, बस एक अवाज में 

थक हारकर गिर पड़ा वह, गोलियां खाई सीने में 
दे दी जान अपनी,ये देश न दिया उनके हाथों में 

काँप उठा हर दुश्मन, देख वीरता सैनिक की 
लाख कोशिश की उन्होंने, पार न कर पाये सीमा को 

नई नवेली दुल्हन का सुहाग उजड़ा बस एक पल में 
सिन्दूर मिटा, हर गहना उतरा बस गहरा रंग था उसकी हाथों में 

वीर सपूत का शव देखकर आसमां भी रोया था चैत के माह में 
करुण-क्रदन फैली हुई थी गाँवों के हर घर में

पत्नी का सुहाग छिना, घर का चिराग बुझा 
घुटने टेके दुश्मनों ने, अपना तिरगां झण्डा सबसे उँचा


तारीख: 24.02.2024                                    राहुल









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