सदियां गुज़र गयी

सदियां गुज़र गयी मगर हालात ज्यों के त्यों
अमीर और गरीब की मुलाकात ज्यों के त्यों।
वही ज़ुल्मोसितम औ वही खोखले वायदे हैं
जनता के लिए नेता के ज़ज्बात ज्यों के त्यों ।
वही फ़ासले,वही दूरियां,औ वही मजबूरियाँ
हुकूमत औ अवाम की औकात ज्यों के त्यों ।
गुजर  गयी कई पीढियाँ जवाब ढूंढते-ढूंढते
आज भी हैं होठों पर सवालात ज्यों के त्यों ।
अब तो अजय आ गया होगा तुझको यकीं 
लिखनेवालों के हैं  मुश्किलात ज्यों के त्यों।


तारीख: 04.02.2024                                    अजय प्रसाद









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