समझ चुका ए जंदगी


समझ चुका हूं तुझे ए जंदगी
न हैरान हूं न दिल परेशां है
एक तू है तो हम यहां है
नई जंग तू जहाँ जहाँ हैं
जिंदगी दर्द तो कभी दवा है
सकूँ जिंदगी से हवा हवा हैं
चैन हासिल न हो सकें
यह भी जिंदगी का दावा हैं।
हँसते होंठो में छुपी बैचैनी
हर तड़प से जिंदगी बेपरवाह है।
एक हम तुम्हे संवारा हरदम
एक तू हमदम सी बेबफा है
ऐ जिदगी तेरे हर दर्द का
मुझसे बेहतर ख़ुदा गवाह है
बेग़ैरत तेरी नाइंसाफी अदा पे
क्या कहूँ....
सकूँ जिंदगी से हवा हवा हैं!!!


तारीख: 06.04.2020                                    नीरज सक्सेना









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