रमेश के दोहे नववर्ष पर

पन्नो मे इतिहास के, लिखा स्वयं का नाम !
दो हजार पंद्रह  चला,.....यादें छोड तमाम !!

दो हजार पंद्रह  चला, छोड सभी का साथ !
हमें थमा कर हाथ में, नये साल का हाथ !!

ढेरों मिली बधाइयाँ,........बेहिसाब संदेश !
मिली घड़ी की सूइंयाँ,ज्यों ही रात "रमेश"!!

मदिरा में डूबे रहे, ......लोग समूची रात !
नये साल की दोस्तों, यह कैसी सुरुआत !!

नये साल की आ गई, नयी नवेली भोर !
मानव पथ पे नाचता,जैसे मन मे मोर !!

नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज !
दीवारों पर टांगिये, .नया कलैंडर आज !!

घर में खुशियों का सदा,. भरा रहे भंडार !
यही दुआ नव वर्ष मे,समझो नव उपहार !!

आयेगा नववर्ष में, ...शायद कुछ बदलाव !
यही सोच कर आज फिर, कर लेता हूँ चाव !!


तारीख: 10.06.2017                                    रमेश शर्मा









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