सरल होना कठिन है
जटिलता सरल ।
कठिन है मन के भावों को मूर्त रूप देना
संवाद सरल है।
कठिन है संवाद में मौन का होना और
समझ पाना एक दूसरे के मौन को।
क्रोध, कोप, इर्ष्या यूँ है जैसे
पलकों का झपकना।
प्रेम करना कठिन है
जैसे ऊँचे पहाड़ पर चढ़ना।
प्रेम का दैहिक होना सरल है
सरल है उसकी भौतिकता,
प्रेम का पारलौकिक होना कठिन है
कठिन है उसको जीना।
कवि होना सरल है,
कठिन है उमड़ती भावनाओं का
संयोजन, नियंत्रण और प्रवाह।
सरल है कारण वश जुड़े रहना किसी से
अकारण ही मोह, लगाव, जुड़ाव
कठिन है।