दूर हैं बहुत दूर, जाने कहाँ... ??
न मिलने की ख्वाइश,
न दीदार- ए - तमन्ना
डोर बंधी है, आज भी..
चले थे चार कदम साथ,
जाने अनजाने वो स्पर्श,
वह ख़ुश्बू , दीवानापन…
दिल-ए-गुस्ताख़ ने ,
रखा है सब महफूज…
कितना पानी बह गया,
यादों में नमी न आई,
मन टटोला, तो मिली
नयी ,महकती हुई ....!!!