यह ईद फिर भी खास है

इस बार नहीं लिए नए कपड़े 
नहीं खरीदे अम्मी ने नए गहने ,
गले मिलकर एक दूसरे से ईद मुबारक कह नहीं सकते 
ना ही बड़े बुजुर्गों से हाथ में ईदी ले सकते ,
नहीं जा सकते बाहर नमाज़ अदा करने 
ना ही बाजार जाकर तोहफ़े खरीद सकते ,
इतने ना के बाद भी यह ईद खास है 
इस ईद में दुआएं सबके लिए मांगी जा रही ,
इस ईद में मुबारकबाद गले मिलकर नहीं
दिल से मुस्कुरा कर दी जा रही ,
 ईद ही सिखा रही खुशियां नए कपड़ों और गहनों में नहीं,
नए जज्बात और एहसास बयां करना सिखा रही 
यही तो है ईद का कायदा है सब इंसानियत पर फ़िदा हो 
गिला शिकवा हो न कहीं....


तारीख: 15.04.2024                                    शबनम कुमारी









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