जिद है अगर तो जीतोगे

उठ तैयार हो फिर हरबार 
जितनी बार भी तुम गिरोगे
जिद है अगर तो जीतोगे
चाहे वक़्त ना हो साथ
भले छुटे अपनों का हाथ
हर अंधियारा दूर कर देगा नाथ
सूखे में भी आंसुओं से जब
अपने सपनों को तुम सींचोगे
जिद है अगर तो जीतोगे

माना जीत जाना नहीं होता आसान
ना राही पाता मंजिल बिन सहे दर्द हजार
विरल राहों पे चलके ही बनते कुछ लोग महान
पर जिद से बड़ी ना कोई चीज बलवान
जिद है साहस और जिद ही संयम
मंजिल तक अड़े रहो तो जिद है अनुशासन
बन के मशाल कर तू जग को रोशन
कभी मिटने ना पाए जब ऐसी लकीरें खींचोगे
जिद है अगर तो जीतोगे 


तारीख: 18.04.2024                                    शशि कांत सिंह




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