मोटापा बदनाम हुआ, डार्लिंग तेरे लिए

आज हमारी श्रीमती जी अखबार खोल कर बैठी| खबर क्या, खबर से ज़्यादा शॉपिंग और उससे मिलने वाली लूट पर नज़र थी उनकी| एक खबर पढ़ ख़ुशी के मारे गोल गप्पा हो गई| (वैसे तो वो पापड़ी से भी पतली, लेकिन है बहुत कड़क)

बोली, शहर में बेस्ट कपल कॉन्टेक्स्ट है, हम भी भाग लेंगे| और हमारी तरफ तीखी नज़र डाल, पूछी, क्या हमारे संग "भाग" लोगे? हम भी डरते डरते बोले, आज तक भाग ही रहे हैं|

खो देती है, बात बात पर आपा, जब से बड़ा हे हमारा मोटापा| प्यार करने जैसे पास जाए, पापी पेट बीच में आ जाये|

श्रीमती जी ने फरमान सुनाया, तुरंत ही फॉर्म भरवाया| बोली कुछ कायदे नियम है, व्रत, उपवास और योगा अब यही चलन है| अरे, गुरु अब हो जाओ शुरू|

हम तो गरमी में भी थर-थर काँप रहे थे और श्रीमतीजी, गूगल झांक रही थी|

सारा प्रोग्राम दिमाग में कर सेट, पांच बजे का अलार्म लगाया| सुबह सुबह नीबू पानी पिलाया, फिर प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करवाया| खुद सहेली से गप्पे मार, पार्क के चक्कर हमसे लगवाए चार| इस पर भी मन ना भरमाया, एक पागल कुत्ता पीछे लगवाया|

हांफ-हांफ कर हम तो हो गए ढेर, कुत्ते को देख हम बन गए शेर| जैसे तैसे घर को पहुंचे, पानी की जगह ग्रीन टी को लपके| खुद आलू परांठे के मारे डकार और हम को पकड़ा दिया घिये के जूस का गिलास|

स्लिम ट्रिम श्रीमती जी, पहने पारदर्शक साड़ी और हमसे बोली कर लो जिम चलने की तैयारी| हमें जिम में छोड़, खुद चली शॉपिंग की और|

शॉपिंग बैग के साथ, हाथ में बर्गर और पिज़्ज़ा लाये, हमें एक डिब्बा वेट लूस शेक पकड़ाए| हाय, ये कैसी चर्बी है, श्रीमती जी के मुंह में बर्फी है|

सोच-सोच श्रीमती जी घबरा रही है, कुछ खुराफाती दिमाग में चला रही है| हाय, ये कैसा दिवानापन,  कैसे कम हो हमारा मोटापापन|

शाम के पांच बजते हम बोले भूख अभी जारी है, श्रीमती जी बोली अभी तो पॉर्क चलने की बारी है| बेंच पर बैठ सखी संग बतियाती रही और हमसे वर्कआउट कराती रही| वापसी में हम संग चली बाज़ार, हमारी नज़र पकवानो पर और चटोरी जीभ देख देख ललचाये, इतने में श्रीमती जी ने गपागप दस गोलगप्पे खाये| बोली तुम्हारे लिए ओट्स और है रागी, खुद छोले भठूरे की तरफ भागी|

रात को खाने में मिली उबली, बिन तड़के और बंद मसाले की दाल, हमको दुबला कर मानो उसका हो गया काम, हमारा मोटापा हो गया बदनाम|

अगले दिन हाथ में झाड़ू और पोछा, घर कराये साफ़| बोली घर का काम करे मोटापे को छू मंतर, अभी तो साफ़ करने हैं बर्तन| मशीन बंद कर, ढेरों कपडे, हाथ से धुलवाए, कपडे क्या, हम तो खुद ही धूल कर बाहर आये|

हीरो बनने के चक्कर में "ज़ीरो" हो गए| कॉन्टेक्स्ट की तारीख सामने आई, तो श्रीमती जी ज़ोर से चिल्लाई| | ओवरवेट से अंडरवेट  हो गए| धोती फाड़ तुम तो रुमाल हो गए|

हाय, रे, हमारी किस्मत क्या से क्या हो गया| | हमारा मोटापा ईद का चाँद हो गया| |

हम बोले, इस बार नहीं अगली बार करेंगे ट्राई| चलो तब तक हो जाये कुछ फ्राई|


तारीख: 16.02.2024                                    मंजरी शर्मा









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