रेटिंग: 3.5/5
कास्ट:श्रीदेवी, अक्षय खन्ना, नवाजुद्दीन सिद्दीकी,
अदनान सिद्दीकी, अभिमन्यु सिंह, सजल अली
डायरेक्टर: रवि उद्यावार
समय: 2 घंटे 27 मिनट
जॉनर: थ्रिलर
कहानी : फिल्म की कहानी है दिल्ली की एक बायोलॉजी टीचर, देवकी(श्रीदेवी ) और उसकी सौतेली बेटी आर्या (सजल अली) की, सौतेली माँ होने के कारण आर्या हमेशा देवकी से एक दूरी बना के रहती है. देवकी के परिवार में भूचाल तब आता है , जब एक रात आर्या घर नहीं लौटती और अगले दिन देवकी और उसके पति को आर्या एक नाले के पास घायल पड़ी मिलती है. जगन(अभिमन्यु सिंह) और उसके दोस्त पिछली रात चलती कार में आर्या का रेप करके उसे फेंक देते हैं. अब देवकी पुलिस और अदालत के चक्कर काटेगी जहाँ एक ओपन एंड शट केस को सुलझाने में भी कई साल लग जाते है या खुद अपनी बेटी को न्याय दिलाएगी.
रिव्यू : डेब्यूटेंट रवि उद्यावर की फिल्म एक थ्रिलर है जो माँ बेटी के रिश्ते के संघर्ष के साथ साथ भारत में औरतो की सुरक्षा को ले कर पुलिस, प्रसाशन,मीडिया और लोगो के रवैए को दिखाती है . फिल्म की शुरुआत में निर्देशक ने एक सौतेली माँ और उसकी बेटी के रिश्ते को बड़ी ख़ूबसूरती से दिखाया है
आर्या के साथ हुए अन्याय के बाद फिल्म तेजी से गति बदलता है और देवकी का किरदार पूरे दम ख़म के साथ बाहर आता है. अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए देवकी एक प्राइवेट डिटेक्टिव डीके(नवाजुद्दीन सिद्दीकी ) का सहारा लेती है और यहाँ से कहानी काफी रोमांचक हो जाती है. केस की कमान है एक कड़क पुलिस अफसर फ्रांसिस(अक्षय खन्ना) के पास जो जो केस के साथ साथ देवकी के हर चाल पर भी नज़र रखे हुए है.
वैसे तो इस सब्जेक्ट पर पहले कई फिल्मे आ चुकी हैं , तो कहानी के तौर पर देखा जाये तो आपको कुछ नया भले न लगे मगर फिल्म में कई ट्विस्ट हैं जो आपकी तशरीफ़ सीट पर टिकाये रखते हैं. श्रीदेवी के दमदार परफॉरमेंस और सपोर्ट कास्ट के जबरदस्त प्रेसेंस से निर्देशक अपनी बात रखने में सफल हुए हैं. कुल मिला के फिल्म एक बढ़िया एंटरटेनर है
अभिनय : ये श्रीदेवी की ३००वी फिल्म है और फिल्म में उनके जबरदस्त अभिनय से साबित हो जाता है की क्यों बौलीवुड ने एक ५३ साल की हीरोइन को मुख्य किरदार के तौर पर रख के फिल्म बनाने का रिस्क लिया है. इंग्लिश-विन्ग्लिश में उनके दमदार अभिनय को देखने के बाद दर्शकों को फिर से उनका एक मजबूत परफॉरमेंस देखने को मिलेगा. फिल्म में नवाज का किरदार भी काफी जोरदार है और वो अपने वन लाइनर डायलॉग से दर्शकों को रिझा लेते हैं. फिल्म में कही-कही नवाज श्रीदेवी पर भरी पड़ते हैं और उन जैसे एक्टर से यही उम्मीद रहती है.
बात करे अक्षय खन्ना की तो वो एक सरप्राइज पैकेज हैं और उनके रोल को देख के आप दंग रह जायेंगे, एक कड़क ऑफिसर के रोल में अक्षय बहुत इम्प्रेसिव हैं और वो हमें ये सोचने पे मजबूर करते हैं की वो क्यों फिल्मो में इतने दिनों पर दिखते हैं. विलेन की भूमिका में अभिमन्यु ने अच्छा काम किया है पर फिल्म ख़त्म होने पर दर्शकों को उनसे थोड़े और की उम्मीद रहेगी.आर्या के रोल में पाकिस्तानी एक्ट्रेस सजल अली ने अच्छा काम किया है , श्रीदेवी के पति के रोल में अदनान ने भी एक सधा हुआ रोल किया है.
सौ बात की एक बात : हिंदी फिल्मो के महानायक अमिताभ के अपोजिट अगर आज किसी एक्ट्रेस को उम्र के इस पड़ाव में दम्दार मुख्य किरदार करते अगर आप देखना चाहते हैं तो फिल्म देखने जरूर जाइये, आखिर अमिताभ के “पा” के बदले श्रीदेवी को “मॉम” जैसी फिल्म करनी ही चाहिए थी.