मैं और तुम


सम-विषम के फेर में 
ग्यारह-तेरह मात्राओं में बंधा मैं
रोला छंद-सा पाता विश्राम
और तुम मुक्त छंद-सी
यत्र-तत्र-सर्वत्र बिखरी हुई
जैसे कोई समकालीन कविता


तारीख: 09.08.2019                                    आमिर विद्यार्थी




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