तुम्हारी चुप्पी मुझे अच्छी नहीं लगती। फिर एक दिन, कहीं लिखा हुआ पढ़ा, " प्रेम की भाषा मौन है "
तबसे मौन रहकर, मैं तुममें प्रेम पढ़ने लगी।
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