तेरे- मेरे दरमियां कुछ सिलसिले तो हैं
नजदीकियाँ ना सही फाँसले तो हैं।
प्यार करने की कोई वजह बाकी नही माना
नाराजगी ही जताओ शिकवे- गिले तो हैं।
यूं कैसे अनजानों की तरह मुहँ फेर सकती हो
कुछ पल को ही सही कभी हम मिले तो हैं।
आज तू मुझसे दूर में तुझसे दूर हूँ
वजह तेरे एकतरफा फैसलें तो हैं।
तुझे चाहते है इतना की बेवफा ना कहे सके
पर देखकर तेरा ये रूप "बेचैन" अदंर से हिले तो हैं।