कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की

Gazal shayari sahitya manjari

कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
न दिन हमारे मन का न रात हमारे मन की

कुछ नही था ऐसा,सोच रखा था जैसा,ना
मेघ हमारे मन के न बरसात हमारे मन की

हर लड़की के मां बाप यही कहते हैं अक्सर
न गौत्र हमारे मन का न जात हमारे मन की

होता है वही जिंदगी मे जो मुकर्रर होता है
न जीत हमारे मन की न मात हमारे मन की

जगह,लोग,मौसम,सब मुखालिफ थे,ना था
वकत हमारे मन का न घात हमारे मन की


तारीख: 26.01.2024                                    मारूफ आलम









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