खत मिरा उसको जब मिला होगा
पढ़के उसको वो रो दिया होगा
मुस्कुराता है देखकर मुझको
दिल में उसके भी कुछ रहा होगा
मुझको फिर बज़्म में बुलाया है
फिर तमाशा कोई नया होगा
एक राहत सी मिल रही है मुझे
उसने फिर नाम ले लिया होगा
दिल से उसको पुकारते रहना
वह सदा सबकी सुन रहा होगा
इसलिए झेलता हूँ सारे सितम
एक दिन सबका फैसला होगा
फिर तड़प दिल में उठ रही है पवन
आज फिर माँ ने व्रत रखा होगा