जब कभी बा-हौसला बाहर गए
हाल-ए-दुनिया से हम तो डर गए
लोग बच कर आ गए सहरा से भी
हम लब-ए-दरिया रहे और मर गए
फर्क़ क्या अब जीत हो या हार हो
जो हमें करना था वो हम कर गए
बाप अपना सर पटकता रह गया
भूख से बच्चे बिलखते मर गए
रास आई ही नहीं दुनिया हमें
आज फिर थक हार कर हम घर गए
अज़्म-ए-मंज़िल मांगती है जिंदगी
आप तो साहब अभी से डर गए