खुदको दागदार कौन करे
पीठ पीछे से वार कौन करे ।
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बातो से सुलझते है मसले
खंजर पर धार कौन करे ।
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दामन में नही दाग एक भी
ईमान का व्यापार कौन करे ।
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फँस जो गई दिल के पिंजरे में
अब उसको फरार कौन करे ।
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हर कदम दिया बस धोका
अब उससे करार कौन करे ।
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डरता रिशु है तेज निगाहों से
उनसे अब तकरार कौन करे ।