मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था 

मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था 

ख़ाहिश-ए-ख़लीक़ इज़हार करना चाहा था      

 

धुएँ सी उड़ा दी आरज़ू पल में यार ने मिरि

तिरा इस्तिक़बाल शानदार करना चाहा था

 

भले लोगो की बातें समझ न आईं वक़्त पे

मैंने तो हर लम्हा जानदार करना चाहा था 

 

तिरे काम आ सकूँ इरादा था बस इतना सा

तअल्लुक़ आपसे आबदार करना चाहा था

 

इंतिज़ार क्यूँ करें फ़स्ल-ए-बहाराँ सोचकर

चमन ये 'राहत' खुशबूदार करना चाहा था


तारीख: 07.09.2019                                    डॉ. रूपेश जैन









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