तेरी आँखों की बगावत

खुशियों का न कोई ठिकाना होगा
मेरी ज़िन्दगी में जो तेरा आना होगा ।
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कभी यादों की बारिश जो सताएगी 
तेरी जुल्फों का शामियाना होगा ।
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निगाहें तीर से घायल होना सभी चाहते
देखते है किस पर तेरा निशाना होगा ।
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तुझसे दूरियाँ जैसे नदिया के किनारे
दिलों की दूरियों को अब मिटाना होगा ।
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लूंगा जो अपनी ग़ज़ल में तेरा नाम मैं
दुश्मन फिर मेरा आज ज़माना होगा ।
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बेशक हज़ार रुकावटें डालेगा ज़माना
आग मिलन की दिल में जलाना होगा


तारीख: 15.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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