पपीहा अहदों का उसके, हवा हो गया था
हम कह दें उससे कैसे वो बेवफा हो गया था
मेरी हंसी का कातिल, मेरे चैन का सितमगर
मेरा नहीं था अब वो, मुझे इल्म हो गया था
हंसता था आसमां भी, रातों को टिमटिमाकर
गुलिस्तां मेरे मकां का वीराना हो गया था
वो नसीब में नहीं था कहता था जर्रा जर्रा
मजबूत था दिल मेरा भी, खिलाफत में जहां था
मुझको ये यकीं था आएगा मुझसे मिलने
मेरे प्यार का वो बचपन अब जवां हो गया था