न जाने कितना वो मुझे तड़पाएगी
खामोशी उसकी जान मेरी ले जायेगी ।
अभी जो हूँ तो अपनाते नही मुझको
सांस जो टूटी फिर आँख आंसू लाएगी ।
हैं वो ही एक आरजू मेरी ज़िन्दगी की
देखता हूँ कब तक यूँही ठुकराएगी ।
ये सोचकर ही साँसों से अपनी लड़ रहा
मौत का मेरी बोझ ले कैसे जी पायेगी ।
है यकीं प्यार पे औ इरादे भी मजबूत है
एक न एक दिन वो घर मेरा महकाएगी ।
हक़ नही तुझपे लेकिन एहसास मुझको है
याद रिशु की तुझको भी रातो में जगाएगी ।