चुन कर लफ्जों को

चुन कर लफ्जों को करीने से लगाकर ले गया
जरा सी बात को वो सीने से लगाकर ले गया

नाराज था बला का तुम्हारे समंदरो से कोई
नाशाद कसतियाँ सफीने से लगाकर ले गया

बड़ी मेहनत से दिन भर कमाकर कोई गरीब
दो वक़्त की रोटियाँ पसीने से लगाकर ले गया

हंसी की बात थी वो सिर्फ मजाक था ऐ दोस्त
हंसी की बात भी मरने जीने से लगातार ले गया

मेरी हरकत को ना समझा ये कसूर उसका था
मेरे इशारे को वो दफीने से लगातार ले गया


तारीख: 07.02.2024                                    मारूफ आलम









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