दुनिया बसाऊँगा

अपनी एक अलग ही मैं दुनिया बसाऊँगा
जहाँ सिर्फ़ हर तरह बेईमानो को बुलाऊँगा ।
सच्चाई,इमानदारी, सादगी और खुलूस से
इन सब की मै जमकर खिदमत कराऊँगा ।
जब तलक न आत्मा कचौटे खुदगर्ज़ो की
तब तलक मैं अपना खुन पसीना बहाऊँगा ।
शायद एहसास हो जाए अपनी गलतियों का
सामने इनके,इनकी करतूतों को दोहराऊँगा ।
जनता हूँ अजय ये नामुमकिन है हक़ीक़त में
इसिलिए तो ये फिक्र अपने ख्यालों में लाऊँगा ।

 


तारीख: 02.03.2024                                    अजय प्रसाद









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