परेशान जिन्दगी

फसी है जिन्दगी कैसी मुकद्दर के  किनारों मे
छुपी है रंग ए रौनक वक्त के बन्द द्वारों  मे।।

कयामत आज दिखती है जहाँ जाती नजर मेरी
भाव नफरत का लिपटा है शस्त्र की तेज धारों मे।।

ना सोचा था कभी हमने आज वो कष्ट झेले हैं
सहारा कौन दे हमको फसे हम बेसहारों मे।।

मुसीबत भी भयंकर सी दोस्त भी सब मतलबी हैं
जहर की गन्ध आती है हमें फूलों के हारों मे।।

खड़ा उम्मीद मे आर्यन मेरा कब वक्त बदलेगा 
दिखेगा दौर खुशियों का ये कब उड़ती बहारों मे।।
 


तारीख: 08.04.2024                                    आर्यन सिंह









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