शरीफ लोग

खजाने रखते नही मुुफलिसों मे बांट देते हैं

शरीफ लोग हमेशा मुश्किलों मे साथ देते हैं

 

आपके शक की जद मे बागबां क्यों नही आये

जो पालते हैं वही तो शजर को काट देते हैं

 

अपने दर पे आये फकीरों को ना जाने क्यों

झिड़क देते हैं वो कभी तो कभी डांट देते हैं

 

सूखे पत्ते हरे दरख्तों मे अच्छे नही लगते

चल ऐसा करते हैं कि इन्हें अब छांट देते हैं 

 

तैरने वाले किनारों की खुशामद नही करते

जिन्हें आता है हुनर वो दरिया फांट देते हैं

 


तारीख: 09.02.2024                                    मारूफ आलम









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