आजकल पुल आत्मदाह क्यों कर रहे हैं ?
क्या वे भी चुनाव परिणाम से प्रसन्न नहीं हैं?
या क्या वे भी नेताओं की तरह कुपोषित हैं ?
सरकार को तत्काल एक कमिटी का गठन करना चाहिए जो पुलों की काउंसलिंग करे और उनकी जो भी समस्या हो उसका समाधान करे।
एक बार एक गिरा हुआ आदमी एक पुल पे जा रहा था , तभी पुल गिर गया। गिरे हुए आदमी को सरकार ने लाखों का मुआवज़ा दिया।
गिरा हुआ आदमी पुल से गिरकर कहाँ से कहाँ पहुँच गया और गिरा हुआ पुल वहीँ का वहीँ रह गया। उसका किसी ने हालचाल भी नहीं पुछा। इसलिए पुल उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
पिछले हफ्ते एक और पुल गिर गया। सरकार ने जांच कमिटी बनायी। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया की गिरे हुए पुल के पास अंग्रेजी के एक कोचिंग संस्थान के पम्पलेट मिले हैं। पुलिस ने उस कोचिंग संस्थान के ऊपर चढ़ाई कर दी क्यूंकी संस्थान काली पहाड़ी के ऊपर था। पुलिस संस्थान के मालिक 'लिट्टी शेक्सपियर' को पकड़कर थाने ले आयी।
पहली तो लिट्टी मना करता रहा लेकिन जब पुलिस ने उसे एक कमरे में बंद कर सास - बहु सीरियल दिखाने की बात की तब उसने सारा सच बोल दिया।
उसने कहा - 'जितने पुल गिरे हैं सब उसके संस्थान में अंग्रेजी सीखने आते थे। हमारे संस्थान में एक शिक्षिका हैं -'मछली रानी', ये क्लास में प्रतिदिन 'स्विमिंग पूल' पे कविता सुनाती हैं। ये कविताएं सुन-सुन कर पुलों को तैरने का मन करने लगता था। उनकी यही तैरने की चाह से निकल गयी दुर्घटना की राह ! '
पुलिस - 'जब आपको पता था तब आपने शिक्षिका को रोका क्यों नहीं ? '
लिट्टी - 'कैसे रोकता साहब , वो मेरी पत्नी हैं । '
सरकार ने तत्काल कोचिंग संस्थान को पुलों के आसपास पम्पलेट लगाने से मना कर दिया और चेतावनी भी दिया की अब अगर किसी भी पुल को भर्ती किया तो संस्थान का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
चेतावनी सुनकर मालिक हंसने लगा क्यूंकी संस्थान का कोई लाइसेंस था ही नहीं।