अर्थव्यवस्था के नाज उठाने को मजदूर बुलाये जाते हैं

लाकडाउन के दौर में अर्थव्यवस्था बीच में बाजार में गिर गयी थी। उसे
उठाने का प्रयास तब पुलिस वालों ने किया लेकिन वे उसे उठा नहीं पाये।
पुलिस वाले तो उस पर सिर्फ लाठियां चला रहे थे और कह रहे थे कि मुआ
अर्थव्यवस्था को भी इसी लाकडाउन के वक्त में गिरना था। हमलोग कोरोना के
मरीजों को उठाने में बीजी हैं और यह अर्थव्यवस्था बीच सड़क पर पड़ी है।
वैसे भी अर्थव्यवस्था हमारे देश की आन, बान और शान मानी जाती है। अगर
अर्थव्यवस्था गिरी रहती है तो जीडीपी ग्रोथ भी नहीं बढ़ता है। षेयर बाजार
के गिरने से ऐसा लगा है कि मानों देश में अमेरिका का स्काइलैब गिरने वाला
हो। इस बीच अर्थव्यवस्था सड़क पर गिरी रहे तो कोई भी इसे सहन नहीं कर
सकता। इसकी जानकारी कुछ लोगों ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम
से सरकार को दी। तब सरकार उसे उठाने के लिए सक्रिय हुई। सरकार ने भी कहा
कि अर्थव्यवस्था का बीच बाजार में गिर जाना किसी भी स्थिति में देश के
लिए उचित नहीं है। इसे हर हाल में उठाना हम सभी का कर्तव्य है। इसलिए
सबसे पहले सरकार ने शराब की दुकानों को खोलने का आदेश दिया। इसके बाद कुछ
शराबी दारू पीकर गिरी हुई अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए आये। लड़खड़ाते
कदमों से डग मारते हुए वे अर्थव्यवस्था के भारी भरकम शरीर को उठाने के
लिए आये मगर उठा नहीं पाये। जब वे उसे उठा रहे थे तो उनके मुंह से लार
गिर रहा था। तब पुलिस वाले उनसे कह रहे थे तुम्हें मालूम नहीं है कि
सरकार ने सड़कों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसी स्थिति में
तुम्हारा मुंह से लार गिरना कानूनन जुर्म है। जुर्म की बात सुनते ही
शराबी भाग खड़े हुए। बोले अर्थव्यवस्था से तो अच्छी अपनी शराब की दुकान
है। अगर अर्थव्यवस्था पर दारू का छिड़काव किया जाये तो वह खुद उठकर बैठ
जायेगी।
इस बीच एक कवि महोदय भी बीच सड़क पर पड़ी अर्थव्यवस्था को देखने के लिए आ
धमके और कविता के अंदाज में बोले ’ मासूका के नाज उठाने को मजदूर बुलाये
जाते हैं।‘ आगे उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था रूपी मासूका बगैर मजदूरों
के उठ नहीं सकती। कवि की बातों को सुनकर सरकार ने मजदूरों को खोजने का
आदेश दिया। अधिकारी परेशान हुए। बोले-आखिर हम मजदूरों को कहां से खोज कर
लायें। सभी अपने घर चले गये हैं और जो घर नहीं जा सकें हैं वे क्वारंटाइन
सेंटर में बंद हैं। उनके आने से तो कोरोना महामारी बढ़ने का खतरा है। अंत
में अधिकारियों ने सरकार को रिपोर्ट दी कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि
लाकडाउन के दौर में आखिर अर्थव्यवस्था सड़कों पर कैसे आ गयी। अगर आ भी गयी
तो वह दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गयी। इससे जाहिर होता है कि सारा दोष
अर्थव्यवस्था का है। अर्थव्यवस्था को भी समझना चाहिए था कि देश में
लाकडाउन चल रहा है इसलिए उसे घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए था।
अधिकारियों की रिपोर्ट आने के बाद अर्थव्यवस्था से संबंधित विभाग ने आदेश
जारी किया कि किसी तरह उसे सड़क पर से उठाया जाये। इसके बाद उसका किसी
सरकारी अस्पताल में कोरोना टेस्ट कराया जाये। कोरोना टेस्ट के बाद
अर्थव्यवस्था को 14 दिनों तक किसी बैंक के लाॅकर में क्वारंटाइन किया
जाये ताकि उससे शेयर बाजार, उद्योग धंधे, बैंकिंग सेक्टर इत्यादि को
संक्रमण से बचाया जा सके।


तारीख: 07.03.2024                                    नवेन्दु उन्मेष









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है