मैनें टवीट किया

यदि आजादी की लड़ाई के वक्त व्हाट्स एप या  ट्विटर होते तो घर बैठे ही हम सोशल मीडिया पर ही  अंग्रेजों को डरा डरा कर आजादी ले लेते। आज गली मुहल्ले मंे किसी के घर के आगे जाकर तू तू मैं मैं करने का किसी के पास टेैम नी है जी ! सो ट्विटर हैंडल घुमाओ और मोड़ दो, अपना मुंह ,मोबाइल से, उस की तरफ जिसे गलियाना हो या जिसके खिलाफ भड़ास निकालनी हो। मजदूर से मंत्री तक, अभिनेत्री से संतरी तक.... सब या तो ट्विटर की तलवार से लड़ते हैं या फेसुक, इंस्टाग्राम से। जमाना बदल गया है। बस चार लैनां लिख दो और ले लो मजे। मजे की बात यो है जी कि इस लड़ाई में पूरी दुनिया के लोग कूद लेते हैं। जिसे कुछ लेना देना ही नहीं, जानता तक नहीं.... वोे भी पराई आग में शहीदी दे देता है। कुछ लोगों की हॉबी है। टायलेट जाने से पहले या टायलेट में बैठे बैठ ही शौच क्रिया के साथ साथ संदेश क्रिया भी निपटा लेते हैं। आज क्या खाया - क्या पिया, कहां गए- किसके साथ गए, बस से गए या जहाज से, टायलेट कितनी बार जाना पड़ा ..... सब कुछ पानी की तरह ट्र्ांस्पेरेंट ! जो कुछ करना है , जनता के सामने! हनीमून और सुहागरात की वीडियो  तक सार्वजनिक ....ताकि सनद रहे । ग्यारह मुल्कों की पुलिस डॉन को ढूंढने में 11 साल लगा देती है और डांॅन फेसबुक पर डेली अपना स्टेट्स डालता रहता है। पकड़ लो जी ! जहां पकड़ना है।
       कभी लोग गाया करते थे- मैंनें प्यार किया। फिर पछताते थे-  मैनें प्यार क्यों नहीं किया  या फिर मैनें प्यार क्यों किया ? फिल्मों के टाइटल भी मजनुओं की हालत और हालात से प्रभावित होकर बदलते रहे।जब से इंटरनेट  का मौसम आया, नए नए शब्द आ गए। एस एम एस, एम एम एस, ई मेल, व्हाट्स ऐप,ब्लॉग, टवीट.....वगैरा वगैरा। दुनिया पति, पत्नियों और पड़ोसियों को भूलकर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल में घुस कर लल्लन टॉप बन गई। अब लोग कह रहे हैं- मैनें टवीट किया। कई पछता रहे हैं कि मैनें टवीट क्यों किया? टवीट हमेशा स्वीट रहे ऐसा कम ही होता है। या तो ’पति-पत्नी और वो ’ बन जाता है या बैठे बिठाए एक मुसीबत का सबब। पहले कबूतर संदेसवा लाते ,ले जाते थे, आज के कोरियर सर्विस की तरह तीर निशाने पर लगता था।  दुनिया को कानों कान खबर नहीं होती थी कि कबूतर किस की गुटर गूं , किसके आंगन में डिलीवर कर रहे हैं! आज तो हर बात दुनिया के आगे फसाना बन जाती है। कबूतरों से कोई मैसेज आज की तरह हैक नहीं कर सकता था। आज तो प्रेम पातियां या तो हैक हो जाती हैं या बंदा खुद ही मजनुओं की तरह पूरी दुनिया को बताना चाहता है।
    एक युवा प्रेमी- प्रेमिका, सुबह चार बजे उठ कर मुर्गे - मुर्गियों की तरह नेट पर टवीट करते थे। इसी टवीट-शवीट में उनका प्रेम परवान चढ़ा। दोनों जवां थे। अच्छी खासी नौकरी। फेस बुक पर हीरो हीरोइन लगते थे। नेट पर ही जीने मरने की कसमें। जिंदगी भर साथ निभाने के वायदे। एम एन सी या सॉफटवेयर में जॉब हो तो वक्त ही कहां मिलने मिलाने का? बंदा लंदन में, बंदी लुधियाना में। शार्ट कट में ओवर टू मैरिज। मम्मी पापा का स्काइप पर आशीर्वाद गारंटिड। जो वादे किए सब चैटियाते - फैटियाते। एक दम एक्शन। जैसे पहले चट मंगनी पट ब्याह होता था , ठीक वैसे ही चट चैटिंग , फट सैटिंग एंड जल्दी से वैडिंग। मेल पर चार दिन चैटिंग हुई, आठ दिन में शादी।जब सुहाग रात पर बर्खुरदार ने घूंघट उठा कर पूछा- डार्लिंग हनी मून कहां मनाएं?। दुलहन की आवाज आई- जहां तुम्हाली मल्जी। दहां तहोदे वहीं तलूंगी।
ऐसे ही एक लड़का लड़की कई महीने चैटिंग करते रहे।फोटो और नाम बदल कर एक दूसरे को ख़्वाब दिखाते रहे। एक दिन डेटिंग की सैटिंग हो गई । जब मिले तो पति -पत्नी निकले।


तारीख: 06.02.2024                                    मदन गुप्ता सपाटू









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