पप्पू का स्कूटर

 

भगवान ने इंसान बनाए, वही  कुछ नमूने भी बनाए हैं । आज मैं उन्हीं में से एक नमूने पुष्पेंद्र उर्फ पप्पू की कहानी आप लोगों को सुना रहा हूं, अपना पप्पू एक नंबर का फेकू, झूठ बोलने में पारंगत था । ऐसा नहीं था कि पुष्पेंद्र दिखने में भी पप्पू लगता हो, देखने में तो खैर स्मार्ट था लेकिन झूठी सच्ची कहानी सुना कर वह लोगों को भरपूर पकाता था, साथ ही थोड़ा उनका मनोरंजन भी हो जाता था।फाइनल ईयर का स्टूडेंट था और बड़े-बड़े सपने देखा करता था नीरजा उसकी क्लासमेट थी जिसे हर वक्त वह इंप्रेस करने के चक्कर में लगा रहता था। एक रोज खाली  पीरियड में क्लास के लड़के और लड़कियां उसे घेर कर बैठे थे और हमारा पुष्पेंद्र सभी का झूठे सच्चे किस्सो से सबका मनोरंजन कर रहा था। बातों बातों में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई की बात आई, । भाई साहब बोले तुम लोग यकीन नहीं करोगे मैं दो बार एवरेस्ट पर चढ़ चुका हूं ,इस पर नीरजा ने कहा लेकिन न्यूज़ में तो इस विषय में कभी तुम्हारे बारे में सुना या पढ़ा नहीं, पुष्पेंद्र ने तपाक से उत्तर दिया बस यही फर्क है मुझ में और तुम लोगों में, मैं पब्लिसिटी से बेहद नफरत करता हूं । मैंने चैनल वालों को साफ मना कर दिया था, भाई मुझे कोई पब्लिसिटी नहीं चाहिए कृपया आप लोग मेरे विषय में कुछ ना दिखाएं इस पर सभी छात्र हंसने लगे । एक छात्र ने पूछ लिया पुष्पेंद्र तुम्हें कार चलानी तो आती होगी , पुष्पेंद्र ने तपाक से उत्तर दिया , ले कार चलाना मैं तो हवाई जहाज तक चला सकता हूं है ही क्या हवाई जहाज चलाने में बस कार की तरह चलाओ और फिर एक लीवर ऊपर को कर दो प्लेन उड़ने लगेगा।तो ऐसे थे हमारे पुष्पेंद्र उर्फ पप्पू  । अब मैं आपको 6 साल आगे लिए चलता हूं।

पुष्पेंद्र का  पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था, उसे गुस्सा था उस  मैनेजर पर जिसने इस चिलचिलाती गर्मी में इस खटारा स्कूटर पर दिल्ली से नोएडा ऑफिस के काम से भेजा था । स्कूटर कहीं भी रुक कर खड़ा हो जाता था और उसे स्कूटर स्टार्ट करने के लिए बीसीओ किक मारनी पड़ती थी। “लग रहा है मैनेजर का बच्चा इस स्कूटर को  हड़प्पा की खुदाई से निकालकर लाया है” उसने मन ही मन कहा। वही हुआ वापस आते समय एक जगह खटारा स्कूटर रुक कर खड़ा हो गया | 50 किक मारने के बाद भी स्टार्ट नहीं हुआ । पुष्पेंद्र स्कूटर को किसी तरह खींच कर एक स्कूटर मैकेनिक की दुकान पर ले आया। मैकेनिक ने बताया भाई साहब स्कूटर का इंजन बैठ गया है ,कल तक ठीक होगा, पुष्पेंद्र के पास कोई चारा नहीं था , उसने कहा ठीक है भाई ठीक कर देना मैं कल आकर ले जाऊंगा।

गर्मी और पसीने के कारण पुष्पेंद्र की बुरी हालत थी, उस पर बस स्टैंड के लिए उसे तकरीबन आधा किलो मीटर चलना पड़ा, किक मारने के कारण शर्ट का बीच का बटन टूट गया था जिसमें से पेट दर्शन दे रहा था, वह मन ही मन मैनेजर को गालियां दे रहा था और बस का इंतजार कर रहा था। तभी पुष्पेंद्र ने देखा एक चमचमाती हुई लग्जरी गाड़ी  उसके पास आकर रुकी और उसमें से एक स्टाइलिश लेडी बाहर निकली , उसने गोगिल उतारते हुए पुष्पेंद्र को देखा , पुष्पेंद्र तुरंत उसे पहचान गया अरे यह तो नीरजा है अगर इसने मुझे इस वेश में देख लिया, शर्ट का बटन टूटा है कपड़े भी निहायत मामूली पहन रखे है,तो इज्जत का भाजीपाला हो जाएगा। पुष्पेंद्र तुरंत पीछे मुड़कर दूसरी तरफ देखने लगा ताकि नीरजा की नजर उस पर ना पड़े, और हाथ में लिए हेलमेट को वहीं फेंक दिया ताकि नीरजा को पता ना लगे की वह स्कूटर पर था । उसने सोचा सालों बाद नीरजा मिली भी है तो वह इस वेश में है उसका मन करने लगा की धरती फट जाए और सीता की तरह वह उसमें समा जाए । लेकिन नीरजा तो उसी के कारण कार से उतरी थी, नीरजा बोली अरे पुष्पेंद्र तुम कैसे खड़े हो क्या हुआ?

पुष्पेंद्र चकरा गया फिर अपने आप को संयमित करते हुए उसने पुराने पुष्पेंद्र को जगाते हुए कहा नीरजा तुम , अरे कुछ नहीं  पिछली क्रॉसिंग पर मेरी  कार खराब हो गई थी ,उसे मैं मैकेनिक के यहां खड़ी करके, “कैब से दिल्ली जा रहा था - - - - अपना पेट छुपाते हुए उसने नीरजा से सफेद झूठ बोला और कोई चारा भी नहीं था कहां वह चमचमाती गाड़ी से उतरी और वह उससे कहता मैं स्कूटर पर था और वह खराब हो गया तो बात बनती नहीं।

बस की लाइन में कैब का इंतजार मैं समझी नहीं चलो कोई बात नहीं उसने मुस्कुराते हुए कहा मेरे साथ चलो मैं दिल्ली ही जा रही हूं तुम्हें ड्रॉप कर दूंगी।

कुछ पल पुष्पेंद्र ने सोचा जाना चाहिए कि नहीं कपड़ों से स्मेल आ रही है और एक बटन टूटने के कारण वहऔर भी कांपलेक्स में था । कहां नीरजा शानदार कपड़े पहने हुए थी लग्जरी गाड़ी से उतरी थी , उसने सोचा बस से जाने में ही भलाई है उसने कहा नहीं मैं मैनेज कर लूंगा।

अरे चलो ना कॉलेज की यादें ताजा हो जाएगी --- नीरा ने कहा ।
वह नीरजा के साथ जाना तो नहीं चाहता था लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नजर नहीं आया इसलिए वह उसके साथ कार में बैठ गया।

हमारा पप्पू बहुत अधिक हीन भावना से ग्रस्त था, कार की पिछली सीट पर एक राजकुमारी सी बच्ची लेटी हुई थी जो अब जाग गई थी,
पुष्पेंद्र ने पूछा - - - - तुम्हारी बेटी है बड़ी प्यारी है क्या नाम है । इसका जवाब बच्ची  ने हीं दे दिया माय नेम इज मिली।
वाओ नाइस नेम नीरजा कितने साल हो गए तुम्हारी मैरिज को।
नीरजा ने बताया 4 साल।

पुष्पेंद्र के पास कंपनी का एक बैग था जो उसने पेट के आगे रख दिया था, ताकि निकला हुआ पेट दिखाई ना दे।

नीरजा ने बैग पर कंपनी का नाम पढ़ते हुए कहा अच्छा क्या तुम पीटर एंड संस मैं काम करते हो ,क्या काम करते हो।

पुष्पेंद्र ने सोच लिया था कि नीरजा के सामने झूठ बोलने के अलावा उसके पास दूसरा कोई चारा नहीं है ,वह बोला ----हां मैं पीटर एंड संस में जनरल मैनेजर हूं । फिर पूछा---तुम्हारे हस्बैंड क्या करते हैं

राजेश बिजनेस करते हैं - - -नीरजा ने बताया, मैं भी राजेश की कंपनी में डायरेक्टर हूं लेकिन साल में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में ही जाती हूं।

नीरजा बहुत अच्छा गाड़ी चला रही थी कार में खामोशी हो गई थी , पुष्पेंद्र कॉलेज और उससे जुड़ी यादों में खो गया।

वह नीरजा को शुरू से ही पसंद करने लगा था और उससे बातें करना उसे काफी अच्छा लगता था । पढ़ाई में वह दोनों ही सो सो थे। वह नीरजा को इंप्रेस करने के लिए अपने बेस्ट कपड़े पहनता था और उससे बात करने के मौकों की तलाश में रहता था । नीरजाऔर भी लड़कों से बात करती थी केवल पुष्पेंद्र तक ही सीमित नहीं थी।

धीरे-धीरे भाई साहब नीरजा से एकतरफा प्यार करने लगे, एक दिन पुष्पेंद्र ने नीरजा से कहा आज तुम बहुत  स्मार्ट लग रही हो, उसने कहा तुम भी कम स्मार्ट नहीं लग रहे। वह उसकी इन छोटी-छोटी बातों को अपने लिए उसका प्यार समझने लगा  । कॉलेज के वार्षिक उत्सव में दोनों ने पार्ट लिया और काफी अच्छा प्रदर्शन किया ।  दोनों ने एक दूसरे को कुछ स्पर्धाओं में प्रथम आने पर बधाई दी । कॉलेज के एक टूर में भी दोनों साथ गए वहां भी उन्होंने खूब मजे किए, ऐसे ही 2 साल बीत गए दोनों ही पास हो गए और उनकी पढ़ाई समाप्त होने का समय आ गया।

एक दिन पुष्पेंद्र ने उससे पूछ लिया - - - क्या तुम मुझे पसंद करती हो।

नीरजा ने कहा हां क्यों नहीं तुम मेरे अच्छे दोस्त हो।

पुष्पेंद्र ने कहा - - - दोस्त ही समझती हो या उससे भी कुछ और अधिक।
नीरजा बोली - - - बस दोस्त उससे अधिक और कुछ नहीं।

पुष्पेंद्र ने कहा - - - नीरजा मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं और तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं।
नीरजा ने बताया - - - - जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार मैं अपने मम्मी पापा को दे चुकी हूं ,मैं प्यार मोहब्बत में बिल्कुल विश्वास नहीं करती । मेरे लिए जो  भी निर्णय मेरे मम्मी पापा लेंगे वह ठीक ही रहेगा।

पुष्पेंद्र ने कहा - - - -क्या तुम समझती हो अंजाना सा आदमी तुम्हारे जीवन में आकर तुम्हें वह प्यार  दे सकता है जो मैं तुम्हें दूंगा। नीरजा मैं तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूंगा, मेरा फ्यूचर बड़ा ब्राइट है, बस एक-दो साल में मेरे पास  वह तमाम सुख सुविधाएं होंगी जिसकी किसी को कल्पना होती है।

मुझसे ऐसी बातें करने का कोई मतलब नहीं है । तुम मेरी फैमिली से बात कर लो अगर वह तुम्हें मेरे लायक समझेंगे तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा - - नीरजा ने कहा।

ठीक है संडे को मैं तुम्हारे यहां आता हूं और उनसे तुम्हारा हाथ मांग लेता हूं , मुझे अपने ऊपर पूरा विश्वास है तुम्हारे पापा मुझे ना नहीं कह पाएंगे - - - - - - पुष्पेंद्र ने जोश में आकर कहा।

कहने को तो उसने नीरजा से बड़ी बड़ी बातें कर दी पर भविष्य का उसे कुछ पता नहीं था

संडे के रोज पुष्पेंद्र नीरजा के घर गया , घर बड़ा ही शानदार था । नीरजा के पापा क्लास वन ऑफीसर थे उन्होंने अपनी रॉबीली आवाज  मैं पुष्पेंद्र से पूछा - - - हां तो मिस्टर पुष्पेंद्र तुम्हारे पापा सेक्शन ऑफिसर हैं और तुमने पढ़ाई पूरी कर ली है, अब तुम्हारे फ्यूचर प्लांस क्या है।

बस अंकल अब बढ़िया सी नौकरी करूंगा और सारी सुख सुविधाएं पैदा करूंगा ताकि मेरी होने वाली पत्नी को कोई असुविधा ना हो।- - - - पुष्पेंद्र ने जवाब दिया।

मतलब यह कि अभी तुम कुछ नहीं कमाते - - ठीक है जब तुम इस लायक हो जाओ सारी सुख सुविधाएं जुटा लो तब आना नीरजा का हाथ मांगने ,तुम्हें पता नहीं है नौकरियां मिलना इतना आसान नहीं है , नौकरी  पेड़ पर लगा हुआ कोई फल नहीं है जो तुम हाथ बढ़ाकर तोड़ लोगे - - - नीरजा के पापा ने थोड़ा सख्त लहजे में कहा।

पुष्पेंद्र ने कहा - - - इतना मुश्किल भी नहीं है अच्छे नंबरों से पास हुआ हूं अच्छी नौकरी तो मिल ही जाएगी।

ठीक है जब मिल जाएगी तब आना अभी मैं तुम्हारे लिए सोच भी नहीं सकता । एक बेरोजगार के हाथ में मैं अपनी लड़की का हाथ नहीं दे सकता - - अंकल ने फटकारते हुए कहा।

पुष्पेंद्र बढ़ चढ़कर बोलने का आदि तो था ही बोला- - - देखिएगा अंकल एक दिन आप और नीरजा पछताएंगे। मुझे मालूम है कि मैं बहुत जल्दी बहुत बड़ा आदमी बनने जा रहा हूं, धन दौलत, गाड़ियां नौकर चाकर सब होगा मेरे पास, तब आप लोगों को बहुत अफसोस होगा, की  आपने आया हुआ मौका अपने हाथ से गवा दिया।

नीरजा के पापा ने कहा - - - फिलहाल तो मुझे तुमसे बात करके बहुत अफसोस हो रहा है, अब तुम जाओ इसी में तुम्हारी भलाई है।

आज वह सोच रहा था की कितनी बढ़ चढ़कर बातें उसने नीरजा के पापा और नीरजा से की थी हकीकत में कुछ भी नहीं कर पाया था, पीटर एंड संस में मामूली सी नौकरी करता था , और कहां नीरजा इतनी शानदार और लग्जरी लाइफ जी रही थी, पुरानी बातों को सोच कर उसे अपने ऊपर हंसी भी आ रही थी ।

काफी देर तक दोनों कॉलेज के किस्से शेयर करते रहे और हंसते रहे, पीछे से मिली की आवाज आई मम्मा बिस्कुट दे दो भूख लग रही है मम्मा बिस्कुट यूएस वाले देना।

ठीक है बेटा यूएस वाले ही दूंगी नीरजा ने डैशबोर्ड खोलकर बिस्किट का एक पैकेट निकाला और पीछे मिली को दे दिया उसने एक पैकेट पुष्पेंद्र को भी दिया।

अरे वाह यूएस के बिस्किट मुझे भी बड़े अच्छे लगते हैं, मैं भी जब यूएस जाता हूं तो ढेर सारे बिस्किट लेकर आता हूँ - - पुष्पेंद्र अपनी पुरानी फेंकने की आदत से बाज नहीं आया और यूएस को बीच में ले आया।

नीरजा ने पूछा विदेश जाते रहते हो।

हां विदेश जाना तो लगा ही रहता है बस यह समझ लो नीरजा की साल में चार-पांच महीने तो विदेश में रहना ही पड़ता है - - - पुष्पेंद्र ने फेंकते हुए कहा

नीरजा समझ गई कि पुष्पेंद्र झूठ बोल रहा है वह अपनी हंसी को बमुश्किल रोक  पाई लेकिन सीरियस होते हुए बोली - - - कंपनी की तरफ से जाते हो।

कंपनी की तरफ से तो कभी-कभी ज्यादा तर तो अपने आप ही जाता हूं। बस यह है की विदेश जाने में दो दिन तक पैरों में चीटियां सी काटती रहती है - - - - पुष्कर ने शेखी बघारते हुए कहा।

नीरजा समझ नहीं पाई और उसने पूछा - - - - चिट्टियां सी क्यों काटने लगती है भला।

अरे वही जैट लेग के कारण क्यों तुम्हें नहीं होता क्या जैट लेग-- अनभिज्ञ पुष्कर ने पूछा।

नीरजा तुरंत भाप गई, पप्पू की असलियत, इस बार वह अपनी हंसी पर कंट्रोल नहीं कर पाई ,जोर से हंसी और बोली , हां मेरे साथ भी ऐसा होता है।

यह वह बंदा कह रहा था जिसने अभी तक शायद एयरपोर्ट भी  ठीक से नहीं देखा था।

नीरजा और उसका बेवकूफ बनाते हुए बोली रुकते तो फाइव स्टार होटल में ही होगे ।

हां नीरजा फाइव स्टार से कम तो चलता ही नहीं है, तुम तो जानती ही हो मेरा  रहन सहन।

हां , बिल्कुल सैलरी बहुत होगी तुम्हारी।

अरे नहीं नीरजा वैसे तो बहुत बड़ी कंपनी है लेकिन पैसे देने के मामले में भिखारी है ।


नीरजा का और अधिक गप सुनने का मन नहीं था इसलिए टॉपिक बदलते हुए बोली- - - - शादी हो गई तुम्हारी।

हां करनी ही पड़ी क्योंकि तुम लोगों के नसीब में तो मैं था ही नहीं - - - पुष्पेंद्र ने ऐस कहा जैसे नीरजा के हाथ से कोई अनमोल मोती खो गया हो।

बातें करते करते दिल्ली आ गया पुष्पेंद्र नीरजा को अपना घर नहीं दिखाना चाहता था इसलिए बोला  बस मुझे यही उतार दो मुझे इस मार्केट में  कुछ काम है।

ठीक है पुष्पेंद्र सालों बाद तुमसे मिलकर बड़ा अच्छा लगा, मेरा विजिटिंग कार्ड रख लो कभी मन करें तो बातें कर लेना, और हां कभी समय मिले तो अपनी फैमिली के साथ घर आना।

ठीक है नीरजा जरूर आऊंगा , मैं फोन करूंगा मोबाइल पर मेरा नंबर आ जाएगा तुम्हारी भी जब इच्छा करें मुझसे बातें कर लेना - - - पुष्पेंद्र ने गाड़ी से नीचे उतरते हुए कहा।

नीरजा ने कार आगे बढ़ा ली पुष्पेंद्र ने राहत की सांस ली और मन ही मन बोला भगवान ने आज  बचा लिया।

कार से उतर कर उसने विजिटिंग कार्ड देखा तो उसे बहुत तेज झटका लगा कार्ड पर लिखा था “ नीरजा गुप्ता डायरेक्टर पीटर एंड संस”।
 


तारीख: 20.03.2020                                    विजय हरित









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