जब कविता खो जाती है ज़िन्दगी के अँधेरे में,
जब धूमिल पड़ जाता है कविता का अर्थ , चिलचिलाती धूप के घेरे में,
याद आता है वो चेहरा, जिसकी मासूमियत मेरी कलम कभी लिख पायी नहीं ।
याद आती है वो रातें, जिसकी गहराई मेरे पन्नों में समायी नहीं ।