रौंदकर अपनी तकलीफों को आओ जिंदगी जियें,
पीसकर अपने दुखों को आओ ज़िंदगी जियें|
चूरकर नफरतों को आओ गले लग जाएँ,
भूलकर वेदनाओं को आओ जरा खिलखिलाएं|
सुनकर कोयल की बोली ज़रा मुस्कुराएं,
चहकते बचपन को यादकर आओ गम भुलाएं|
काम को परे हटाकर कुछ वक़्त साथ गुज़ारें,
मैं की ओढ़ी चादर को बदन से हटा लें|
दर्द को दफ़न कर कुछ कदम साथ बढ़ाएं,
डर को डराकर सफलता छीन लाएं|
आज मिलकर बैठकर हम ज़िंदगी संवारें,
आओ आज स्वर्ग को ज़मीन पर उतारें|