आग !!
मेरे हाड़ माॅंस के बीच
ध्वनि के पैमानों के परे
असंख्य लपटों का चोला पहने
अद्रश्य रूपों में दहकती
घनी,
काली,
आग !!
मेरे सीने पर फैली
नवजात तव्चा सी नाजुक
ह्रदय की वीणा को
भस्म कर,
स्वाहा कर,
शनैः अंतरिक्ष में विलीन करती
शेरनी की भूख सी,
शक्ति का ताप,
आग !!
मेरे वयक्तित्व,
पहचान,
रिश्तों,
आडम्बरों की अशुद्धियाँ भाप कर
प्राणों का,
नग्न नृत्य कराती,
आग !!
तुम बाहर क्यूँ नहीं आती?
विश्व को भस्म करने
ब्रह्माण्ड की अंतिम रस्म करने !
करूणामयी, आग?
अंतिम रस्म