अश्रु


शुष्क नयन जो अरसे से हैं,
पानी बिन जो तरसे से हैं |
उनकी प्यास बुझा दे आज,
अश्रु खूब बहा दे आज ||

गम छोटा है या वो बड़ा है,
अंदर क्यों सूखा सा पड़ा है ?
पलकों को नम होने दे आज,
कष्टों को कम होने दे आज ||

हृदय को भी करते हैं निर्मल,
अश्रु पश्चाताप के हैं गंगाजल |
सारे मैल बह जाने दे आज,
घमंड के दुर्ग ढह जाने दे आज ||

किसी की नज़रों से जो गिरा था,
कुछ पल को जो मन ये फिरा था |
उनके सम्मुख अश्रु गिरा दे आज,
सबको अपना बना ले आज ||

चाहे न हों पुष्प, तुलसी-दल,
रोली-मौली, धूप, पावन जल |
श्रद्धा के अश्रु चढ़ा दे आज,
पूजा की उपमा बढ़ा दे आज ||


तारीख: 05.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









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