बस हम सही हैं, सब गलत है

एक सच्चे आम आदमी की कहानी है ये.. अगर आप एक सच्चे 
आम आदमी हैं तो इसे जरूर पढ़ेंगे …..

भ्रष्ट हैं सारे नेता वेता, भ्रष्ट हैं सारे अफ़सर ,
भ्रष्ट हैं सारे सरकारी बाबू, सब करते हैं गड़बड़,
हम तो दूध के धुले हुए हैं, संस्कारों में पले हुए हैं,    
हमने किया न भ्रष्टाचार, बिना बात के लुटे हुए हैं....

हाँ कभी कभी लाइन में लगने को नहीं करता है मन,
इसलिए काम करवा लेते हैं पीछे से देकर थोड़ा धन,
इसमें भ्रष्टाचार कहाँ है, ये तो मेरा मूलभूत अधिकार है,
मैं  क्या करूँ वो सरकारी अफसर ही बेकार है...


कितना पैसा खाते हैं लोग एडमिशन में, सुनकर ये समाचर,
हम गाली वाली देते हैं, कहते हैं सब ही हैं बेकार,
जब बारी आती है खुद के बेटे की तो, पैसे ले के जाते हैं,    
साहब एडमिशन करवा दो, और चाहिए लाते हैं..


कितना भ्रष्ट है रेलवे ये,  कितना घुस ये खाते हैं,
एक बार तो सोचो मन से, के क्या भगवान खिलने आते हैं,
पैसे दे कर सीट हैं लेते, हम थोड़ी हैं भ्रष्टाचारी,
आम आदमी हैं हम सच्चे, कोसो दूर है ये बीमारी...

हमने ही फैला रखा है, भ्रष्टाचार - भ्रष्टाचार,
झांक के देखो अपने अंदर किस कदर हैं हम  बीमार,
भ्रष्टाचार मिटाना है तो क़सम ये हमको खानी होगी,
न प्रधानमंत्री न मुख्यमंत्री, खुद आवाज़ उठानी होगी,
सब कुछ शुरु हमीं हैं करते, अंत हमें ही करना हैं ,
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना अब आँखों में भरना है....
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना अब आँखों में भरना है....
 


तारीख: 10.06.2017                                    विजय यादव









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