धन्धा बढ़िया चल रहा है

          ( रूप घनाक्षरी छन्द )

 

        धन्धा बढ़िया चल रहा है

 

कामचोर कुटिल करवाते पूजा पैरों की,

             वासर-विभावरी बहुत पाते पकवान।

आराम आठों प्रहर पाक पट पर करे,

             बने बनाकर धर्म-धन्धा धूर्त धनवान।

तन-मन-धन द्रव्य देता सेवक समान,

       चंचल चालाकों से हा! हारा वीर बलवान।

कल्पित कथाएँ कह भरमाया भारी भव,

         “मारुत” मूरख मत बनो बनो विद्यावान।।

 

 

 

 

 


तारीख: 09.06.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




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