आजादी है देश की, ....वीरों का बलिदान !
नवयुग की नव पीढियां , दें वीरों को मान !!
आजादी को हो गए,........पूरे सत्तर साल !
नहीं गुलामी का मगर,कटा ज़हन से जाल !!
आजादी का कब हुआ,हमें पूर्ण अहसास !
पहले गोरों के रहे ,...अब अपनों के दास !!
जिसको देखो बेधड़क, लूट रहा है देश !
आजादी के अर्थ को, समझे नहीं रमेश !!
आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग !
सत्तर सालों बाद भी, नहीं सके हम जाग !!
भूखे को रोटी नहीं,रहने को न मकान !
हुआ देश आजाद ये,कैसे लूँ मै मान ! !
सत्तर पूरे हो गए ,....आजादी के साल !
नेता तो खुशहाल हैं,पर जनता बदहाल !!
आजादी अब हो गई, है ऐसा हथियार !
अपनों के आगे करे, अपनों को लाचार !!
सुनने वाला ही नहीं, जब कोई फ़रियाद !
आजादी के बाद भी ,हम कितने आज़ाद !!
चलो उन्होंने कर दिया, फिर से यह अहसान !
आजादी के पर्व का,.... किया आज सम्मान !!
आजादी उनके कभी, .....आयी नही करीब !
रहीं झिड़कियां गालियाँ,जिनका यहाँ नसीब !!