दोहे रमेश के स्वतंत्रता दिवस  पर  

आजादी है देश की, ....वीरों का बलिदान ! 
नवयुग की नव पीढियां , दें वीरों को मान !! 

आजादी को हो गए,........पूरे सत्तर साल ! 
नहीं गुलामी का मगर,कटा ज़हन से जाल !! 

आजादी का कब हुआ,हमें पूर्ण अहसास ! 
पहले गोरों के रहे ,...अब अपनों के दास !! 

जिसको देखो बेधड़क, लूट रहा है देश ! 
आजादी के अर्थ को, समझे नहीं रमेश !! 

आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग ! 
सत्तर सालों   बाद भी, नहीं सके हम जाग !! 

भूखे को रोटी नहीं,रहने को न  मकान !       
हुआ देश आजाद ये,कैसे लूँ मै मान ! ! 

सत्तर पूरे हो गए ,....आजादी के साल ! 
नेता तो खुशहाल हैं,पर जनता बदहाल !! 

आजादी अब हो गई,  है ऐसा हथियार ! 
अपनों के आगे करे, अपनों को लाचार !! 

सुनने वाला ही नहीं,  जब कोई फ़रियाद ! 
आजादी के बाद भी ,हम कितने आज़ाद !! 

चलो उन्होंने कर दिया, फिर से यह अहसान ! 
आजादी के पर्व का,.... किया आज सम्मान !! 

आजादी उनके कभी, .....आयी नही करीब ! 
रहीं झिड़कियां गालियाँ,जिनका यहाँ नसीब !! 


तारीख: 12.08.2017                                    रमेश शर्मा









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